20
1 मुसीबत के दिन ख़ुदावन्द तेरी सुने।
या'क़ूब के ख़ुदा का नाम तुझे बुलन्दी पर क़ाईम करे!
2 वह मक़दिस से तेरे लिए मदद भेजे,
और सिय्यून से तुझे क़ुव्वत बख़्शे!
3 वह तेरे सब हदियों को याद रख्खे,
और तेरी सोख़्तनी क़ुर्बानी को क़ुबूल करे! सिलाह
4 वह तेरे दिल की आरज़ू पूरी करे,
और तेरी सब मश्वरत पूरी करे!
5 हम तेरी नजात पर ख़ुशी मनाएंगे,
और अपने ख़ुदा के नाम पर झंडे खड़े करेंगे।
ख़ुदावन्द तेरी तमाम दरख़्वास्तें पूरी करे!
6 अब मैं जान गया कि ख़ुदावन्द अपने मम्सूह को बचा लेता है;
वह अपने दहने हाथ की नजात बख़्श ताक़त से अपने पाक आसमान पर से उसे जवाब देगा।
7 किसी को रथों का और किसी को घोड़ों का भरोसा है,
लेकिन हम तो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा ही का नाम लेंगे।
8 वह तो झुके और गिर पड़े;
लेकिन हम उठे और सीधे खड़े हैं।
9 ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले;
जिस दिन हम पुकारें, तो बादशाह हमें जवाब दे।