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परमेश्वर की सामर्थ्य का स्तवन
1 तब बिलदद ने, जो शूही था, अपना मत देना प्रारंभ किया:
2 “प्रभुत्व एवं अतिशय सम्मान के अधिकारी परमेश्वर ही हैं;
वही सर्वोच्च स्वर्ग में व्यवस्था की स्थापना करते हैं.
3 क्या परमेश्वर की सेना गण्य है?
कौन है, जो उनके प्रकाश से अछूता रह सका है?
4 तब क्या मनुष्य परमेश्वर के सामने युक्त प्रमाणित हो सकता है?
अथवा नारी से जन्मे किसी को भी शुद्ध कहा जा सकता है?
5 यदि परमेश्वर के सामने चंद्रमा प्रकाशमान नहीं है
तथा तारों में कोई शुद्धता नहीं है,
6 तब मनुष्य क्या है, जो मात्र एक कीड़ा है,
मानव प्राणी, जो मात्र एक केंचुआ ही है!”