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शादीशुदा जीवन का उदाहरण
1 हे बिश्वासी भाईयो, थमनै बेरा सै, (मै नियम-कायदे के जाणण आळा तै कहूँ सूं) के जिब ताहीं माणस जिन्दा रहवै सै, तब तक उसनै नियम-कायदे मानने पड़ैगें। 2 उदाहरण के तौर पै एक ब्याता लुगाई नै मरते दम तक नियम-कायदे कै मुताबिक अपणे धणी कै साथ रहणा चाहिये, पर जै धणी मर जा, तो वा धणी के नियम-कायदे तै आजाद हो जा सै। 3 ज्यांतै जै धणी कै जिन्दे जी वा किसे दुसरे माणस की हो जावै, तो जार कुह्वावैगी, पर जै धणी मर ज्या, तो वा उस नियम-कायदे तै आजाद हो जा सै, उरै ताहीं के जै किसे दुसरे माणस की हो जावै तोभी जार कोनी ठैहरैगी। 4 उस्से तरियां ए हे मेरे बिश्वासी भाईयो, जिब थम मसीह कै साथ मरगे, तो थम नियम-कायदा खात्तर मरेगे, इब थम मसीह के हो, जो मरे होया म्ह तै जिन्दा उठ्या, ताके हम परमेसवर कै खात्तर धार्मिक जीवन जी सका। 5 क्यूँके जिब हम अपणे देह की इच्छा के मुताबिक जिवां सां, तो पाप की लालसा म्हारै अंगा म्ह काम करै सै, अर नियम-कायदे ए उन लालसा नै उजाग्गर करकै मौत नै लेकै आवै सै। 6 हम नियम-कायदा खात्तर मरगे जिसकै बन्धन म्ह हम पैहले थे। इब हम पवित्र आत्मा की मानकै, नये सिरे तै परमेसवर की सेवा कर सकां सां।
नियम-कायदे अर पाप
7 तो हम के कह्वां? के मूसा नबी के नियम-कायदे पाप सै? न्ही! बिलकुल न्ही! बल्के नियम-कायदा ए सै, जो मेरे ताहीं बतावै सै, के पाप के सै! जै नियम-कायदे न्ही कहन्दे, के लालच मतना करै तो मै लालच नै जाण ए न्ही पान्दा। 8 पर पाप नै मौक्का पाकै, हुकम कै जरिये मेरै म्ह सारी तरियां का लालच पैदा करया, क्यूँके बिना नियम-कायदे पाप मुर्दा सै। 9 एक बखत था जिब मै मूसा नबी के नियम-कायदे बिना जीऊँ था, पर जिब मन्नै मूसा नबी के नियम-कायदा ताहीं जाण्या, तो मेरे म्ह पाप करण की इच्छा होण लाग्गी, अर मै मरे होया जिसा होग्या। 10 अर वो हुकम जिसतै मन्नै जिन्दगी मिलणी थी वो मेरी आत्मिक मौत का कारण बण्या। 11 क्यूँके पाप नै मौक्का पाकै हुकम कै जरिये मेरै ताहीं भकाया, अर उस्से कै जरिये मेरी आत्मिक मौत भी हो गई। 12 ज्यांतै हम यो नतिज्जा लिकाड़ा सां, के नियम-कायदे पवित्र सै, अर हुकम पवित्र, धर्मी अर खरया सै। 13 तो के मूसा नबी के नियम-कायदे जो खरे थे, मेरै खात्तर मौत लेकै आये? न्ही! बिलकुल न्ही! यो पाप ए था जिसनै इसा करया। पर नियम-कायदे जो खरे थे, मेरै खात्तर मौत लेकै आये, ताके पाप की असलियत जाहिर हो जा, अर हुकम दिखावै सै के पाप घणाए बुरा सै।
माणस का अन्तर्धन्ध
14 क्यूँके हमनै बेरा सै, के मूसा नबी के नियम-कायदे तो आत्मिक सै, पर मै शारीरिक सूं, अर पाप का गुलाम सूं। 15 अर जो मै करुँ सूं, उस ताहीं कोनी जाण्दा, क्यूँके जो मै चाहूँ सूं, वो न्ही करया करदा, पर जिसतै मन्नै घृणा आवै सै वोए करै सूं। 16 जै जो मै न्ही चाहन्दा वोए बुरे काम करुँ सूं, तो मै मान ल्यूँ सूं, के मूसा नबी के नियम-कायदे खरे सै। 17 तो इसी हालत म्ह जो मेरे म्ह बुरे काम करै सै, वो मै न्ही, बल्के पाप सै, जो मेरै म्ह बस्या होया सै। 18 क्यूँके मन्नै बेरा सै के मेरै म्ह यानिके मेरे पापी सुभाव म्ह कोए आच्छी चीज वास कोनी कर दी। मेरा जी तो भले काम करण की इच्छा तो करै सै, पर भले काम मेरै तै बणदे कोनी। 19 क्यूँके जिस आच्छे काम करण नै मेरा जी करै सै, वो तो कोनी करदा, पर जो बुरे काम करणा न्ही चाहन्दा, वोए करुँ सूं। 20 इस करकै जै मै वोए करुँ सूं जो न्ही चाहन्दा, तो उसका करण आळा मै कोनी रहया, पर पाप सै जो मेरै भित्तर म्ह बस रहया सै।
21 इस तरियां तै मन्नै सच का बेरा पटै सै, के जिब मै भलाई करण की इच्छा करुँ सूं, तो बुराई ए करुँ सूं। 22 क्यूँके मै भीतरी माणस-पण तै तो परमेसवर के नियम-कायदे तै घणा खुश रहूँ सूं। 23 पर मेरे भित्तर एक नियम-कायदा की शक्ति काम करण लागरी सै, जो मेरी पापी अन्तरात्मा तै युध्द करै सै। या नियम-कायदा की शक्ति मेरी अन्तरात्मा नै पाप का गुलाम बणावै सै जो इब भी मेरी देह म्ह सै। 24 मै किसा निरभागा माणस सूं! मन्नै इस पापी सुभाव तै जो मौत लेकै आवै सै, कौण छुड़ावैगा? 25 म्हारै प्रभु यीशु मसीह कै जरिये परमेसवर का धन्यवाद होवै। ज्यांतै मै अपणी समझ तै तो परमेसवर के नियम-कायदे नै मानना चाहूँ सूं, पर पापी सुभाव के कारण मै पाप का गुलाम सूं।